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बालविकास के सिद्धांत एंव इसके अभिप्रेत

 बालविकास के सिद्धांत एंव इसके अभिप्रेत 

परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत 
निरंतरता का सिद्धांत 
व्यक्तिगत भिन्नता  सिद्धांत 
निरंतरता या सतत विकास का सिद्धांत 
विकास की दिशा सिद्धांत 
विकास एक सतत प्रक्रिया है
व्यक्तिक अंतर का सिद्धांत 
वातावरण और वंशानुक्रम के सिद्धांत 
परस्पर विकास का सिद्धांत
समान प्रतिमान का सिद्धांत 


मनुष्य का विकास और उसमे होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों की एक जंजीर है। जो भ्रूणावस्था के आरम्भ होने से लेकर वृद्धावस्था तक चलता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। बालक के जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। विकास हमेशा एक निश्चित दिशा में होता रहता है। तथा यह सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है। विकास व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशिष्टताएं लाता है। ये सारे विकास ,एक निश्चित नियम के अनुपालन में होते रहते है। इन सब प्रक्रियाओं को ही बाल विकास का सिद्धांत कहा जाता है। बाल विकास के सिद्धांत यहां निम्नप्रकार से दर्शाये  गए  हैं।  

 

  1. परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत :किशोरावस्था में  शरीर के साथ साथ संवेगात्मक , सामाजिक , संज्ञानात्मक एवं क्रियात्मकता भी तेजी से होता है। 
  2. निरंतरता का सिद्धांत : विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जो गर्भधारण से लेकर मृत्यु पर्यन्त चलता है 
  3. व्यक्तिगत भिन्नता  सिद्धांत :बाल विकास के सिद्धांत में व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धान्त कार्य करता है। बाल विकास के अंतर्गत सभी प्रकार के बालकों का ध्यान रखा जाता है क्योंकि जरूरी नहीं है कि सभी बालक में विकास एक समान हो। प्रत्येक बालक में विकास और नई चीजों को सीखने की गति अलग-अलग हो सकती है। हाँ लेकिन ध्यान खें कि उनका क्रम एक समान ही रहता है जिसे समान प्रतिमान का सिद्धांत कहते हैं। 
  4. निरंतरता या सतत विकास का सिद्धांत :विकास की प्रक्रिया ज़न्म से लेकर मृत्यु तक निरन्तरता के सिद्धान्त का पालन करती है, बाल विकास शब्द भले ही गर्भावस्था से प्रौढ़ावस्था तक के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन बाल विकास की प्रक्रिया भी विकास की प्रक्रिया की ही तरह निरन्तरता या सततता के सिद्धान्त का पालन करती है। दूसरे शब्दों में कहा  जाये तो बाल विकास गर्भावस्था से युवास्था तक निरंतर जारी रहता है।
  5. विकास की दिशा सिद्धांत: विकास की दिशा के  सिद्धांत के अंतरर्गत बालक के विकास की प्रक्रिया सिर से पैर की ओर के विकास क्रम के सिद्धांत पर  कार्य करती है। इसमें विकास सिर से पैर की होता है।यानिकि बच्चे के सिर का विकास पहले होता है और पैर बाद में विकसित होते हैं। जैसे जन्म के बाद बच्चा पहले सिर हिलाने की कोशिश करता हैम। फिर थोड़े दिनों बाद वह बैठने की कोशिश करता है और बाद में पैरों पर   खड़े हो कर चलने की कोशिश करता है।
  6.  विकास एक सतत प्रक्रिया हैविकास एक सतत प्रक्रिया है। जो मनुष्य के जीवन में निरंतर चलता रहता है. विकास की गति कभी तीव्र या कभी मंद हो सकती है।  मनुष्य में गुणों का विकास यकायक नहीं होता है , जैसे शारीरिक विकास गर्भावस्था से लेकर परिपकवावस्था तक निरंतर चलता रहता है।  परन्तु आगे चलकर बालक उठने-बैठने, चलने फिरने और दौड़ने भागने लगता है
  7. व्यक्तिक अंतर का सिद्धांत : विकासात्मक परिवर्तनों की दर में व्यक्तिगत अंतर हो सकता है और यह अनुवंशकीय घटकों व सामाजिक परिवेश पर निर्भर करता है . जैसे एक 3 वर्ष का बालक औसत 3 शब्दों के वाक्य आसानी से बोल लेता है।  लेकिन  कुछ ऐसे भी बच्चे होतें है जो यह योग्यता 2 वर्ष की आयु में ही प्राप्त कर लेते हैं।  तो कई बच्चे  ऐसे भी  होते है।  जो  4 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर भी वाक्य बोलने में कठिनाई महसूस करते है। 
  8. वातावरण और वंशानुक्रम के सिद्धांत :-शोधकर्ताओं  के अनुसार बालक के विकास में वंशानुक्रम, परिवार के मौहाल और सामाजिक वातावरण का भी प्रभाव भी बाल विकास की प्रक्रिया में अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
  9. परस्पर विकास का सिद्धांत :बालक  के सभी गुण समान होते हैं। बालक के कुछ गुणों का विकास जिस प्रकार  होता  है। उसी प्रकार अन्य गुणों का विकास होता है। जैसे :-तीव्र बुद्धि वाले बालक का शारीरिक विकास भी उसके मानसिक विकास के  साथ -साथ तीव्रता होता है। 
  10. समान प्रतिमान का सिद्धांत : विकास समान प्रतिमान के सिद्धांतों का पालन करता है। समान प्रतिमान के सिद्धान्तों के अनुसार एक तरह के जीवों में विकास का क्रम एक समान होता है। गेसेल ने इस सिद्धांत का समर्थन करते हुए कहा है की –भले ही दो इंसान एक जैसे नहीं होते लेकिन सभी सामान्य बच्चों के विकास का क्रम एक समान होता है, 



     
    मुख्य प्रश्न व्  उत्तर (pdf download here)

    • उपलब्धि परीक्षण को एक अभिकल्‍प के रूप में किस विद्वान ने स्‍वीकार किया है ?
    • उत्तर – फ्रीमैन
    • गैरिसन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण मापन करता है :-
    • उत्तर – वर्तमान योग्‍यता, विशिष्‍ट योग्‍यता
    • उपलब्धि परीक्षण का शिक्षा विशेष के बाद प्राप्ति का मूल्‍यांकन किस विद्वान ने माना है ?
    • उत्तर – थार्नडाइक ने तथा हैगन ने
    • बालक  की  उपलब्धि परीक्षण से सम्‍बन्धित है- 
    • उत्तर  – ज्ञान की सीमा का मूल्‍यांकन, बालकों की योग्‍यता का मापन, बालक के शैक्षिक विकास का मूल्‍यांकन
    • उपलब्धि परीक्षणों के प्रमुख प्रकार कितने हैं?
    •  उत्तर – दो
    • प्रमाणित परीक्षणों में किसका समावेश होता है ?
    • उत्तर – वैधता, विश्‍वसनीयता, विश्‍लेष
    • प्रमाणित परीक्षणों को निर्माण किसके द्वारा किया किया जाता है ?
    • उत्तर – विशेषज्ञ द्वारा
    • प्रमाणित परीक्षणों की एनॉस्‍टासी के अनुसार प्रमुख विशेषता कौनसी है ?
    • उत्तर  – प्रशासन में एकरूपता एवं गणना में एकरूपता
    • थार्नडाइक एवं हैग के अनुसार प्रमाणित परीक्षणों की क्या विशेषता है ?
    •  उत्तर – समान निर्देश, समान समयसीमा, समान प्रश्‍न
    •  कौन-सा तथ्‍य शिक्षक निर्मित परीक्षण प्रकारों से सम्‍बन्धित है ?
    • उत्तर – आत्‍मनिष्‍ठता तथा वस्‍तुनिष्‍ठता
    • निबंधात्‍मक एवं मौखिक परीक्षणों को सम्मिलित किया जाता है 
    • उत्तर – आत्‍मनिष्‍ठ परीक्षणों द्वारा तथा वस्‍तुनिष्‍ठ परीक्षणों द्वारा
    • चिन्‍तन एवं तर्क के विकास हेतु उपयोगी परीक्षण क्या है ?
    • उत्तर – निबंधात्‍मक
    •  निबंधात्‍मक परीक्षण के गुणों से सम्‍बन्धित तथ्‍य है। 
    • उत्तर – प्रशासन में सरलता, प्रगति का मूल्‍यांकन, विचार अभिव्‍यक्ति में स्‍वतन्‍त्रता
    • मूल्‍यांकन करने वाला किस परीक्षण में अपनी विचारधारा से प्रभावित हो जाता है ?
    • उत्तर – निबन्‍धात्‍मक परीक्षण में
    • व्‍यक्तिनिष्‍ठता का दोष किस परीक्षण में पाया जाता है ?
    • उत्तर – निबन्‍धात्‍मक परीक्षण में
    •  निबन्‍धात्‍मक परीक्षण के दोषों से सम्‍बन्धित तथ्‍य है। 
    • उत्तर-  सीमित प्रतिनिधित्‍व, प्रामाणिकता का अभाव, विश्‍वसनीयता का अभाव
    • वस्‍तुनिष्‍ठ परीक्षणों के निर्माण में किन विद्वानों का श्रेय माना जाता है ?
    • उत्तर – होरास मैन तथा जे. ए. राइस का
    • वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍नों के मूल्‍यांकन में निहित होती है। 
    • उत्तर – वस्‍तुनिष्‍ठता
    • सरल प्रत्‍यास्‍मरण पद सम्‍बन्‍धी प्रश्‍न सम्मिलित किये जाते हैं। 
    • उत्तर – वस्‍तुनिष्‍ठ परीक्षण में
    • वस्‍तुनिष्‍ठ परीक्षणों के गुणों के रूप में स्‍वीकार किया जाता है –
    • उत्तर - वैधता को, विश्‍वसनीयता को, वस्‍तुनिष्‍ठता को
    • एक  वैध परीक्षण अगुणों का मापन  करता है। जिसके  लिए  उसका  निर्माण किया है। यह कथन किसका  है?
    •  उत्तर – कॉलेसनिक का
    • किस परीक्षण के माध्‍यम से विषय वस्‍तु का व्‍यापक प्रतिनिधित्‍व किया जाता  है ?
    • उत्तर – वस्‍तुनिष्‍ठ परीक्षण में तथा निबन्‍धात्‍मक परीक्षण में
    • शैक्षिक परीक्षणों  का  प्रयोग प्रमुख रूप से किया जा सकता है 
    • उत्तर – निर्देशन में एवं शैक्षिक परामर्श में
    • समावेशित शिक्षा का सम्‍बन्‍ध किससे है ?
    • उत्तर – विशेष शिक्षा से
    • समावेशित शिक्षा का प्रमुख उद्देश्‍य किस स्‍तर के बालकों को शिक्षा की मुख्‍य धारा से सम्‍बद्ध करना है –
    • उत्तर - मंद बुद्धि बालकों को, विकलांग बालकों को, वंचित बालकों को
    • समावेशी शिक्षा में प्रमुख योगदान किस योजना का है।  
    • उत्तर – सर्वशिक्षा अभियान का
    • समावेशी शिक्षा में किस प्रकार के बालकों की शैक्षिक आवश्‍यकता की पूर्ति की जाती है –
    •  उत्तर  -विशिष्‍ट बालकों की
    • वर्तमान समय में सभी बालकों को शिक्षा की मुख्‍य धारा से सम्‍बद्ध करने का श्रेय जाता है –
    •  उत्तर -मावेशी शिक्षा को
    • समावेशी शिक्षा में बालकों व व्‍यक्ति भिन्‍नता जानने के लिए प्रयोग किया जाता है –
    •  उत्तर - बुद्धि परीक्षणों का
    • समावेशी शिक्षा के अनुसार विशिष्‍ट बालकों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बनाने के लिए आवश्‍यक है – 
    • उत्तर -प्रथम समूह बनाकर शिक्षण
    • समावेशी शिक्षा बालकों को किस प्रकार का शिक्षण प्रदान करती है –
    •  उत्तर- बहुस्‍तरीय शिक्षण, प्रत्‍यक्ष शिक्षण विधियोंका प्रयोग युक्‍त शिक्षण
    • समावेशी शिक्षा आधारित है – 
    • उत्तर - वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर
    • यदि कोई बालक धीमी गति से सीखता है तो उसके लिए आवश्‍यक होगी –
    •  उत्तर -मावेशी शिक्षा
    • बालकों के व्‍यवहार अध्‍ययन की शिक्षा मनोविज्ञान में विधियों को कितने भागों में विभाजित किया गया है – 
    • उत्तर - पांच भागों में
    • अन्‍तर्दर्शन विधि का स्रोत माना जाता है – 
    • उत्तर  - दर्शनशास्‍त्र
    • आधुनिक काल में अन्‍तर्दर्शन के अप्रासंगिक होने का  मूल कारण है – 
    • उत्तर - वैज्ञानिकता का अभाव
    • अन्‍तर्दर्शन विधि पूर्णत: किस रूप में स्‍वीकार की जाती है – 
    • उत्तर  - आत्‍मनिष्‍ठ विधि के रूप में
    • आत्‍मर्दर्शन विधि में कितने विषय व्  प्रयोगकर्ता  होते है – 
    • उत्तर - एक,एक 
    • अन्‍तर्दर्शन निरीक्षण करने की प्रक्रिया है – 
    • उत्तर - स्‍वयं के मन की
    • अन्‍तर्दर्शन विधि में कौनसे अध्ययन पर बल दिया जाता है?  
    • उत्तर -स्‍वयं के मन के अध्‍ययन पर
    • बहिर्दर्शन विधि का सम्‍बन्‍ध होता है – 
    • बालक के व्‍यवहार से, प्रौढ़ के व्‍यवहार से, बृद्ध के व्‍यवहार से
    • बहिर्दर्शन विधि में प्रयोग किया जाता है – 
    • उत्तर - निरीक्षण का एवं परीक्षण का
    • निरीक्षण आंख के द्वारा सम्‍पन्‍न की जाने वाली प्रक्रिया है। यह कथन किसका है –
    •  उत्तर -स्किनर का
    • बहिर्दर्शन विधि में व्यवहार का अध्‍ययन किस रूप में किया जाता है – 
    • उत्तर - प्रत्‍यक्ष रूप से
    • बहिर्दर्शन विधि में निहित है – 
    • उत्तर -वैज्ञानिकता
    • वैयक्तिक विभिन्‍नता का कारण है – 
    • उत्तर -वंशानुक्रम
    • व्‍यक्तिगत भेद के कारण है – 
    • उत्तर - वंशानुक्रम और वातावरण
    • व्‍यक्तिगत भेद का यह कारण नहीं है 
    •  उत्तर - जनसंख्‍या वृद्धि
    • व्‍यक्तिगत विभिन्‍नता में सम्‍पूर्ण व्‍यक्तित्‍व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता है।” यह कथन किसका है? – 
    • उत्तर - स्किनर का
    • ”अन्‍य बालकों की विभिन्‍नताओं के मुख्‍य कारणों को प्रेरणा, बुद्धि, परपिक्‍वता, पर्यावरण सम्‍बन्‍धी उद्दीपन की विभिन्‍नताओं द्वारा व्‍य‍क्‍त किया जा सकता है।” यह कथन किसका है – 
    • उत्तर - गैरिसन व अन्‍य का
    • ”विद्यालय का यह कर्तव्‍य है।  कि वह प्रत्‍येक बालक के लिए उपयुक्‍त शिक्षा की व्‍यवस्‍था करे, भले ही वह अन्‍य सब बालकों से कितना ही भिन्‍न क्‍यों न हो।” किसने लिखा है? 
    • उत्तर - क्रो एवं क्रो ने
    • असामान्‍य व्‍यक्तित्‍व वाले बालक होते हैं – 
    • उत्तर - प्रतिभाशाली
    • ”भय अनेक बालकों की झूठी बातों का मूल कारण होता है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है 
    • उत्तर - स्‍ट्रैंग का
    • प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि होती है – 
    • उत्तर - 130 से अधिक
    • ”शैक्षिक पिछड़ापन अनेक कारणों का परिणाम है। अधिगम में मन्‍दता उत्‍पन्‍न करने के लिए अनेक कारण एक साथ मिल जाते हैं। यह कथन किसने दिया है 
    • उत्तर - कुप्‍पूस्‍वामी ने
    • ”कोई भी बालक, जिसका व्‍यवहार सामान्‍य सामाजिक व्‍यवहार से इतना भिन्‍न हो जाए कि उसे समाज विरोधी कहा जा सके, बाल-अपराधी है।” यह कथन किसका है – 
    • उत्तर - गुड का
    • बाल-अपराध के प्रमुख कारण है – 
    • उत्तर - आनुवंशिक कारण, शारीरिक कारण, मनोवैज्ञानिक कारण
    • समस्‍यात्‍मक बालकों के प्रमुख प्रकारों में किसको सम्मिलित नहीं करेंगे? – 
    • उत्तर - अनुशासन में रहने वाले बालक को
    • मन्‍दबुद्धि बालक की स्किनर के अनुसार कौन-सी विशेषता है?
    •  उत्तर – दूसरों को मित्र बनाने की अधिक इच्‍छा, आत्‍मविश्‍वास का अभाव, संवेगात्‍मक और सामाजिक असमायोजन
    • प्रतिभावान बालकों की पहचान किस प्रकार की जा सकती है ?
    • उत्तर – बुद्धि परीक्षा द्वारा, अभिरूचि परीक्षण द्वारा, उपलब्धि परीक्षण द्वारा
    • प्रतिशाली बालकों की समस्‍या है – 
    • उत्तर  -गिरोहों में शामिल होना, अध्‍यापन विधियां, स्‍कूल विषयों और व्‍यवसायों के चयन की समस्‍या

    • बालकों के समस्‍यात्‍मक व्‍यवहार का कारण नहीं है 
    • उत्तर – मनोरंजन की सुविधा
    • वंचित वर्ग के बालकों के अन्‍तर्गत बालक आते हैं – 
    • उत्तर - अन्‍ध व अपंग बालक, मन्‍द-बुद्धि व हकलाने वाले बालक, पूर्ण बधिर या आंशिक बधिर
    • पिछड़ा बालक वह है जो – ”अपने अध्‍ययन के मध्‍यकाल में अपनी कक्षा कार्य, जो अपनी आयु के अनुसार एक कक्षा नीचे का है, करने में असमर्थ रहता है।” उक्‍त कथन है 
    •  उत्तर - बर्ट का
    • ”कुशाग्र अथवा प्रतिभावान बालक वे हैं जो लगातार किसी भी कार्य क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता का परिचय देता है।” उक्‍त कथन है 
    •  उत्तर - टरमन का
    • प्रतिभावान बालकों में किस अवस्‍था के लक्षण शीघ्र दिखाई देते हैं 
    •  उत्तर - बाल्‍यावस्‍था के
    • प्रतिभाशाली बालकों की समस्‍या निम्‍न में से नहीं है – 
    • उत्तर - समाज में समायोजन
    • प्रतिभाशाली बालक होते हैं 
    • त्तर - जन्‍मजात से 
    • विकलांग बालकों के अन्‍तर्गत आते हैं – 
    • उत्तर - नेत्रहीन बालक, शारीरिक-विकलांग बालक, गूंगे तथा बहरे बालक
    • विद्यालय में बालकों के मा‍नसिक स्‍वास्‍थ्‍य को कौन-सा कारक प्रभावित करता है? 
    • उत्तर – मित्रता
    • मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की विशेषता होती है – 
    • उत्तर - संवेगात्‍मक रूप से अस्थिर, रुचियां सीमित होती है, निरन्‍तर अवयवस्‍था का होना।
    • मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की पहचान निम्‍न में से कर सकते हैं 
    •  उत्तर - बुद्धि परीक्षण, उपलब्धि परीक्षण, मन्‍द बुद्धि बालकों की विशेषताओं को कसौटी मानकर
    • ”वह बालक जो व्‍यवहार के सामाजिक मापदण्‍ड से विचलित हो जाता है या भटक जाता है। बाल अपराधी कहलाता है।” उक्‍त कथन है 
    •  उत्तर - हीली का
    • सृजनशील बालकों का लक्षण है 
    • उत्तर -  जिज्ञासा
    • परामर्श का उद्देश्‍य है छात्र को अपनी विशिष्‍ट योजनाओं और उचित दृष्टिकोण का विकास करने के समाधान में सहायता देना। यह कथन है – 
    • उत्तर -  जे. सी. अग्रवाल का
    • सृजनात्‍मक नई वस्‍तु का सृजन करने की योग्‍यता है। व्‍यापक अर्थ में, सृजनात्‍मक से तात्‍पर्य, नए विचारों एवं प्रतिभाओं के योग की कल्‍पना से है तथा (जब स्‍वयं प्रेरित हों, देसरे का अनुकरण न करें) विचारों का संश्‍लेषण हो और जहां मानसिक कार्य केवल दूसरों के विचार का योग न हो। उपर्युक्‍त कथन है 
    •  उत्तर - जेम्‍स ड्रेवर का
    • प्रतिभावान बालकों की पहचान किस प्रकार की जा सकती है 
    •  उत्तर - बुद्धि परीक्षा द्वारा, अभिरूचि परीक्षण द्वारा, उपलब्धि परीक्षण द्वारा
    • प्रतिभाशाली बालकों की समस्‍या है 
    •  उत्तर - गिरोहों में शामिल होना, अध्‍यापन विधियां, स्‍कूल विषयों और व्‍यवसायों के चयन की समस्‍या
    • ''किसी व्‍यक्ति को कौन-से विषय पढ़ने चाहिए, कौन-से व्‍यवसाय करने चाहिए, किस क्षेत्र में उसे अधिक सफलता मिल सकती है। अभिरुचि निर्देशन करने के लिए अभिरुचियों के मापन की आवश्‍यकता पड़ती है। अभिरुचि परीक्षण का मुख्‍य अभिप्राय मानवीय पदार्थ का उत्‍तम प्रयोग करना है और अतिशय को रोकनाहै। उपर्युक्‍त कथन है 
    •  उत्तर - एन. तिवारी का
    • अन्‍धे बालकों को शिक्षण दिया जाता है 
    •  उत्तर - ब्रैल प‍द्धति द्वारा
    • बालकों के समस्‍यात्‍मक व्‍यवहार का कारण नहीं है 
    •  उत्तर - मनोरंजन की सुविधा
    • ब्रोन फ्रेन बेनर ने समाजमिति विधि किस तथ्‍य का विवरण एवं मूल्‍यांकन माना है 
    •  उत्तर - सामाजिक स्थिति, सामाजिक ढांचासामाजिक चेष्‍टा
    • जेविंग्‍स के अनुसार समाजमिति विधि है 
    • उत्तर - सामाजिक ढांचे की सरलतम प्रस्‍तुति, सामाजिक ढांचे की रेखीय प्रस्‍तुति
    • समाजमिति विधि में तथ्‍यों के प्रस्‍तुतीकरण एवं व्‍यवस्‍था के लिये प्रयोग की जाने वाली पद्धति है – 
    • उत्तर -समाज चित्र, समाज सारणी
    • समाजमिति विधि के जन्‍मदाता है 
    • उत्तर – मौरेनो
    • वी.वी.अकोलकर के अनुसार सामाजिक प्रविधि है 
    • उत्तर – समूह की संरचना की अध्‍ययन प्रविधि, समूह का स्‍तर मापने की प्रविधि
    • एक बालक प्रतिदिन कक्षा से भाग जाता है। वह बालक है 
    • उत्तर – पिछड़ा बालक
    • रेटिंग एंगल एवं प्रश्‍नावली किस प्रविधि से सम्‍बन्धित है 
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;">उत्तर – मूल्‍यांकन विधि से
  • व्‍यक्ति अध्‍ययन विधि में प्रमुख भूमिका होती है – 
  • उत्तर -सूचना की
  • व्‍यक्ति अध्‍ययन विधि का मुख्‍य उद्देश्‍य किसी कारण का निदान है। यह कथन है 
  • त्तर – क्रो एण्‍ड क्रो
  • व्‍यक्ति अध्‍ययन विधि में किस प्रकार की सूचनाओं की आवश्‍यकता होती है ?
  •  उत्तर  -पारिवारिक, सामाजिक, सामान्‍य एवं शारीरिक
  • प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षण विधि है – 
  • उत्तर -गतिवर्द्धन, सम्‍पन्‍नीकरण, विशिष्‍ट कक्षाएं
  • सृजनात्‍मक से आशय पूर्ण अथवा आंशिक रूप से तीन वस्‍तु के उत्‍पादन से है। उक्‍त कथन है – 
  • उत्तर  -रूसो का
  •  बालकों में सृजनाशीलता के विकास हेतु सकारात्‍मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। उक्‍त कथन है 
  • उत्तर - डॉ. एस. एस. चौहान का
  • विशिष्‍ट बालक में प्रमुख विशेषता है 
  • उत्तर - साधारण बालकों से भिन्‍न गुण एवं व्‍यवहार वाला बालक
  • प्रतिभाशाली बालक की विशेषता है 
  • उत्तर -तर्क, स्‍मृति, कल्‍पना, आदि मानसिक तत्‍वों का विकास। उदार एवं हॅसमुख प्रवृत्ति के होते है, दूसरों का सम्‍मान करते हैं, चिढ़ाते नहीं हैं
  • ”कक्षा-शिक्षण में जो सबसे महत्‍वपूर्ण प्रभाव हैं; वह दूसरों के साथ अन्‍त:क्रिया करना है।” उक्‍त कथन है
  •  उत्तर – रिट का
  • ”प्रभावशाली बालक वे होते हैं जिनका नाड़ी संस्‍थान श्रेष्‍ठ होता है।” उक्‍त कथन है उत्तर - सिम्‍पसन का, तयूकिंग का


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        राजस्थान का सामान्य ज्ञान  राजस्थान के प्रथम नागरिक , प्रथम   महिला  व व्यक्तित्व पर राजस्थान की सभी परीक्षाओं सहित , केन्द्र व अन्य  राज्यों की परीक्षाओं में अनेक प्रश्न पूछे जाते रहे है। इसलिए परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए यहां सम्पूर्ण सूची नीचे दी जा रही है।  इसलिए इन्हें याद करना बहुत जरूरी है। ताकि परीक्षा में आप सफलता पा सके। राजस्थान के प्रथम नागरिक  प्रमुख नगरों  के उपनाम  प्रमुख राजवंश एंव उनके राज्य  मुख्य नगर एंव उनके संस्थापक  प्रमुख राजा एंव उनका काल  राजस्थान के प्रथम नागरिक  राजस्थान राज्य के प्रथम प्रमुख महाराजा   :- महाराणा भूपाल सिंह (उदयपुर ) राजस्थान राज्य के प्रथम प्रमुख राजा : - सवाई मानसिंह (जयपुर ) राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्य मंत्री :-  पंडित  हीरा लाल शास्त्री  (7 अप्रेल 1949 से 5 जनवरी 1951 ) राजस्थान राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्य मंत्री :- टीका राम पालीवाल (३मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952  तक ) राजस्थान राज्य के प्रथम राजयपाल :- श्री गुरु मुख निहाल सिंह ( 1 नवंबर 1956  से 16 अप्रेल 1962 ) राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्य न्यायाधीश :- कमल कांत वर्मा  र