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बाल विकास की अवधारणा एवं अधिगम से संबंध ( नोट्स भाग 4 )

बाल विकास की अवधारणा एवं अधिगम से संबंध    १ ज्ञानात्मक अधिगम  २ भावात्मक अधिगम  ३ क्रियात्मक अधिगम                     बाल विकास की अवधारणा विकास जीवन पर्यन्त चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया है। विकास की प्रक्रिया में बालक का शारीरिक क्रियात्मक ,संज्ञानात्मक, भाषागत ,संवेगात्मक एक सामाजिक विकास होता है। बालक में आयोग के साथ होने वाले गुणात्मक एंव तगड़ा परिमाणात्मक परिवर्तन सामान्यत: देखे जाते है। बालक में क्रम बद्ध रूप से होने वाले सुसंगत परिवर्तन की क्रमिक श्रृंखला को विकास कहते हैं। और अधिगम को हम लर्निंग कहते हैं। ( लर्निंग ) यानि याद करना। इसका मतलब सीखना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।तथा जीवन पर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता है। परिस्थिति तथा आवश्यकता सीखने की गति को बढाती रहती हैं। सीखने के लिए कोई स्थान निश्चित नहीं होता। व्यक्ति कहीं भी किसी भी समय कुछ भी सिख सकता है। मनोविज्ञानिक भाषा में सीखने को ही अधिगम कहा गया है।  अधिगम ( Learning ) की परिभाषाएं  1 वुडवर्थ के  अनुसार -''नवीन ज्ञान एंव प्रतिक्रियाओ का अर्जन ही अधिगम Learning है''।  2 स्किनर के अनुसार - '&

वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका (most questions )

 वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका  वंशानुक्रम का अर्थ :  वंशानुक्रम सीधे तौर पर वंश से संबंधित है अर्थात इसमें वंशानुक्रम में शिशु के विकास में माता पिता की भूमिका तो होती ही है साथ ही साथ शिशु के माता-पिता के माता-पिता की भी भूमिका होती है। इसीलिए इसका नाम वंशानुक्रम पड़ा है और मनुष्य के विकास में इसका प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है। सरल शब्दों में वंशानुक्रम का अर्थ :- वंशानुक्रम का साधारण तौर पर अर्थ है कि जैसे माता-पिता होते हैं, उनकी सन्तान भी वैसी ही होती है। वंशानुक्रम के अर्थ में हम यह भी कह सकते हैं कि सभी सजीव अपने वंश  को बनाए रखने के लिए अपने समान बच्चे पैदा करते  हैं। बच्चों  के शारीरिक रूप-गुण अपने माता – पिता के अनुरूप होते हैं, ये वंशानुक्रम का ही एक उदाहरण है। मनोवैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि संतान अपने माता-पिता से शारीरिक गुणों के साथ-साथ मानसिक गुण भी प्राप्त करता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है,   उदाहरण के तौर पे ऐसा जरूरी नही है कि मंद-बुद्धि माता-पिता की संतानें भी मंद-बुद्धि हों। संतान शारीरिक एवं मानसिक गुण अपने माता-पिता के अलावा उनके पूर्वजों से भी प्र

राजस्थान का सामान्य ज्ञान SSC and Reet Important questions

    राजस्थान का सामान्य ज्ञान  राजस्थान के प्रथम नागरिक , प्रथम   महिला  व व्यक्तित्व पर राजस्थान की सभी परीक्षाओं सहित , केन्द्र व अन्य  राज्यों की परीक्षाओं में अनेक प्रश्न पूछे जाते रहे है। इसलिए परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए यहां सम्पूर्ण सूची नीचे दी जा रही है।  इसलिए इन्हें याद करना बहुत जरूरी है। ताकि परीक्षा में आप सफलता पा सके। राजस्थान के प्रथम नागरिक  प्रमुख नगरों  के उपनाम  प्रमुख राजवंश एंव उनके राज्य  मुख्य नगर एंव उनके संस्थापक  प्रमुख राजा एंव उनका काल  राजस्थान के प्रथम नागरिक  राजस्थान राज्य के प्रथम प्रमुख महाराजा   :- महाराणा भूपाल सिंह (उदयपुर ) राजस्थान राज्य के प्रथम प्रमुख राजा : - सवाई मानसिंह (जयपुर ) राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्य मंत्री :-  पंडित  हीरा लाल शास्त्री  (7 अप्रेल 1949 से 5 जनवरी 1951 ) राजस्थान राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्य मंत्री :- टीका राम पालीवाल (३मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952  तक ) राजस्थान राज्य के प्रथम राजयपाल :- श्री गुरु मुख निहाल सिंह ( 1 नवंबर 1956  से 16 अप्रेल 1962 ) राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्य न्यायाधीश :- कमल कांत वर्मा  र