बाल विकास की अवधारणा एवं अधिगम से संबंध १ ज्ञानात्मक अधिगम २ भावात्मक अधिगम ३ क्रियात्मक अधिगम बाल विकास की अवधारणा विकास जीवन पर्यन्त चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया है। विकास की प्रक्रिया में बालक का शारीरिक क्रियात्मक ,संज्ञानात्मक, भाषागत ,संवेगात्मक एक सामाजिक विकास होता है। बालक में आयोग के साथ होने वाले गुणात्मक एंव तगड़ा परिमाणात्मक परिवर्तन सामान्यत: देखे जाते है। बालक में क्रम बद्ध रूप से होने वाले सुसंगत परिवर्तन की क्रमिक श्रृंखला को विकास कहते हैं। और अधिगम को हम लर्निंग कहते हैं। ( लर्निंग ) यानि याद करना। इसका मतलब सीखना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।तथा जीवन पर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता है। परिस्थिति तथा आवश्यकता सीखने की गति को बढाती रहती हैं। सीखने के लिए कोई स्थान निश्चित नहीं होता। व्यक्ति कहीं भी किसी भी समय कुछ भी सिख सकता है। मनोविज्ञानिक भाषा में सीखने को ही अधिगम कहा गया है। अधिगम ( Learning ) की परिभाषाएं 1 वुडवर्थ के अनुसार -''नवीन ज्ञान एंव प्रतिक्रियाओ का अर्जन ही अधिगम Learning है''। 2 स्किनर के अनुसार - '&
Educational, Health, FLN 3.0 Module ,wellness, Concept of child development and relation to learning, Indian Constitution and Democracy prominent mountaineer of India, Inheritance and role of Environment. Earth's ,main climate zone, Stages of Child Development and Influencing Factors, Principles and Meaning of Child Development, major-bids-of-Rajasthan-most-question.Major Saints of Rajasthan