सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राजस्थान का भूगोल ( मृदाएँ:- पटवार एंव रीट के मुख्य प्रश्न )

 

राजस्थान का भूगोल ( मृदाएँ:- पटवार एंव रीट के मुख्य प्रश्न  )

                "मृदा" भूमि की ऊपरी सतह होती है ,जो चटानो के टूटने -फूटने एंव विघटन  उत्पन्न सामग्री तथा उस पर पड़े जलवायु ,वनस्पति एंव अन्य जैविक प्रभावों से विकसित होती है। यह एक अनवरत प्रक्रिया का प्रतिफल होती  है ,जो भूगर्भिक युगों में होती रही है। मूलतः मृदा की प्रकृति उस मूल शैल की संरचना पर निर्भर करती है ,जिसके विखंडन  से उसकी उत्पत्ति हुई है ,मृदा की सतह प्रायः 30 से 40 से.मी. ,मणि जाती है ,किन्तु यह 150 से. मी. ,या इससे भी अधिक गहराई तक हो सकती है। मृदा ,पौधों की वृद्धि का एक प्राकृतिक माध्यम है तथा मृदा की उत्पादकता ही क्षेत्रीय कृषि विकास का एक आधार होता है।



 

राजस्थान की मृदाओं में विभिन्नता 

        राजस्थान की अधिकांश मृदाएँ जलोढ़ (जल द्वारा बहाकर लाई गई मिटटी )एंव वातोढ़ (वायु द्वारा जमा की गई )है। इनकी मूल सामग्री पर अनेक मृदा विशेषज्ञों  कार्य  किया है ,सामान्यतः यह स्वीकार किया जाता है कि टरशयरी के प्रारम्भ एंव मध्य में जलीय प्रभाव मुख्य रहा तथा जलोढ़ मैदानों की उतपत्ति हुई। निरंतर वर्षा के मध्य लम्बी अवधि के सुखे मौसम भी आते रहे। विगत 40 -50 हजार वर्षों में जलवायु प्रायः शुष्क रही। इसी शुष्कता के कारण के जलोढ़ मैदान ,वतीय मैदानों में बदल गये तथा सम्पूर्ण पश्चिमी क्षेत्र में रेतीला मरुस्थल हो गया। 


मृदा के प्रकार एंव वितरण 

1. जलोढ़ अथवा कच्छारी मृदा -भरतपुर ,धौलपुर ,दौसा ,जयपुर ,टोंक तथा सवाई माधोपुर जिलों में मिलती है। 
        भूरी कच्छारी मृदा -अलवर ,भरतपुर और गंगानगर के घग्घर प्रदेश में होती है। 
2. लाल -पीली मृदा -सवाई माधोपुर ,भीलवाड़ा ,अजमेर ,और सिरोही जिलों के पश्चिमी भागों  पाई जाती है।   . 
3. लाल -लोमी मृदा -यह मृदा उदयपुर जिले  मध्य एंव दक्षिणी भाग और डूंगरपुर मने मुख्यतः मिलती है। 
4.लाल काली मृदा --यह भीलवाड़ा ,उदयपुर के पूर्वी भाग ,चितौड़गढ़ ,डूंगरपुर ,एंव बांसवाड़ा जिलों  मिलती है। 
5.मध्यम प्रकार की काली मृदा -यह हाड़ोती पठार अर्थात कोटा ,बूंदी ,बारां झालावाड़ जिलों में। 
6 भूरी रेतीली मृदा -राजस्थान के बाड़मेर ,जालौर ,जोधपुर ,पाली नागौर ,सिरोही ,सीकर तथा झुंझुंनू जिलों के लगभग 36000 वर्ग कि. मी. क्षेत्र में फैली है। 
7. रेतीली मृदा - यह थार के मरुस्थल में विस्तारित है। इस मृदा के चार भाग निम्न प्रकार से हैं 
     (1.)रेतीली बालू मृदा - गंगानगर ,बीकानेर ,चूरू जोधपुर ,जैसलमेर ,बाड़मेर ,और झुंझुंनू जिलों में। 
    (2 )लाल रेरीली मृदा -नागौर ,जोधपुर ,पाली ,जालौर चूरू और झुंझुंनू जिलों में। 
    (3. )पिली- भूरी रेतीली मृदा- नागौर ,पाली जिलों में।
    (4. )खारी मृदा :-जैसलमेर ,बाड़मे, बीकानेर और नागौर जिलों में।
                    

                    उपर्युक्त परम्परागत मृदा वर्गीकरण के अतिरिक्त मृदा वैज्ञानिकों ने मृदा की उतपत्ति ,
रासायनिक संरचना एंव अन्य गुणों के आधार पर विश्वव्यापी मृदा वर्गीकरण प्रस्तुत किया है। जिसके आधार पर राजस्थान में निम्न प्रकार की मृदाएं मिलती है। 


            (१)एरिडी सॉइल्स (Aridi Soils)
            (2)अल्फी  सॉइल्स (Alfi Soils)
            (३)एण्टी  सॉइल्स (Anti Soils)
            (४)इनसेप्टि सॉइल्स (Incepti Soils)
            (५)वर्टी सॉइल्स (Verti Soils)


मुख्य प्रश्न उत्तर 

Q.1 मूल्यांकन में कौन -सी मृदा का सर्वाधिक विस्तार है -

    (अ) रेतीली मृदा      (ब) जलोढ़ मृदा                 

    (स) काली मृदा          (द) मिश्रित मृदा                              (अ)                            

Q. 2 राज्यों की सबसे ज्यादा उपजाऊ मृदा है-

    (अ) लाल वाट पीली मृदा      (ब) काली मृदा         

    (स) जलोढ़ मृदा                  (द) रेतीली मृदा                       (स)                                

Q.3 हाड़ौती पातर की मृदा है -

    ( अ ) मध्यम काली  मृदा            (ब ) लाल  मृदा                     

    (स) भूरी  मृदा                            (द) जलोढ़  मृदा                  (अ)                                                

Q. 4 भूरी रेतीली मृदा में कौन से तत्त्व की अधिकता होती है?

        ( अ ) नाइट्रोजन                      (ब ) फास्फेट                         

        (स) कैल्शियम                          (द) अमोनिया                  (ब )                                    

Q. 5 राज्यों के जलोढ  / कच्छरी मृदा किन जिलों में है -

        (अ) कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ 

        (ब) भरतपुर, सवाई माधोपुर, धौलपुर एंव टोंक 

        (स) भीलवाड़ा, चित्तगढ़, एंव बांसवाड़ा 

        (द) सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, डूंगरपुर                          (ब)                        

Q.  6 राज्य की कौन -सी  नदी द्रारा मृदा का  अपरदन सर्वाधिक है -

        (अ) लुणी                  (ब) बाणिंग                             

        (स) चंबल                  (द) माही                                      (स)                                                

Q.  7 कपास के लिए कौन-सी मृदा उपयुक्त है - 

        (अ) काली  मृदा             (ब) लाल मृदा

        (स) जलोढ़  मृदा             (द) भूरी मृदा                            (अ)        

Q.  8 मृदा की लवणता एव क्षारीयता का हल है -

        (अ) रॉक फॉस्फेट          (ब) यूरिया                         

        (स) जिप्सम                  (द) देशी मूल्य                          (स)                                    

Q. 9 सेम समस्या से कौन-सा जिला सर्वाधिक प्रभावित है -

        (अ) गंगानगर              (ब) हनुमानगढ़                             

        (स) चूरू                        (द) जैसलमेर                              (ब)                                                

Q. 10 मूल्यांकन के किस प्रदेश में एन्टीसोल्स मृदा को मिला है _

        (अ) पूर्वी                      (ब) पश्चिमी                                     

        (स) दक्षिणी                  (द) दक्षिणी -पूर्वी                          (ब)                                                     

Q. 11 निम्नलिखित में से किस नाम से लवणीय एंव क्षारीय मृदा को जाना जाता है -

        (अ) कल्लर                      (ब) ऊसर                                 

        (स) लवणीय                  (द) उपर्युक्त सभी नाम              (द)                                            

Q. 12 वर्टसोल्स रेज के बाद में किस जिले में पायी जाती है -

        (अ) जालौर              (ब) बारां                                 

        (स) टोंक                   (द) प्रतापगढ़                                    (ब )              

Q.13 लाल -लोम (लाल लोम) मृदा राजस्थान के कौनसे जिलों में मिलती है?

      (अ) भीलवाड़ा - अजमेर             (ब) बूंदी - भाव

     (स) डूंगरपुर - बांसवाड़ा         

        (द) सिरहि - पाली             (स) 

Q.14 कोटा- बुंदी - जिलों में कौनसी मृदा की प्रधानता हैं?

         (अ) पीली - भूरी मृदा             (ब) काली गहरी मध्यम मृदा

         (स) नव भूरी मृदा                    (द) जलोद मृदा                 (ब )

Q.15 एरिडी सोइल्स (एरिडी मिट्टी) का प्रमुख क्षेत्र है?

         (अ) पूर्वी श्रेणी                 (ब) द. पू. मूल्यांकन

        (स) मध्यम श्रेणी             (द) पश्चिमी व्यवस्था              (द)



Read more click here

 






   











टिप्पणियाँ

  1. बहोत अच्छा कॉन्टेन है ब्लोग का

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाल विकास की अवधारणा एवं अधिगम से संबंध ( नोट्स भाग 4 )

बाल विकास की अवधारणा एवं अधिगम से संबंध    १ ज्ञानात्मक अधिगम  २ भावात्मक अधिगम  ३ क्रियात्मक अधिगम                     बाल विकास की अवधारणा विकास जीवन पर्यन्त चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया है। विकास की प्रक्रिया में बालक का शारीरिक क्रियात्मक ,संज्ञानात्मक, भाषागत ,संवेगात्मक एक सामाजिक विकास होता है। बालक में आयोग के साथ होने वाले गुणात्मक एंव तगड़ा परिमाणात्मक परिवर्तन सामान्यत: देखे जाते है। बालक में क्रम बद्ध रूप से होने वाले सुसंगत परिवर्तन की क्रमिक श्रृंखला को विकास कहते हैं। और अधिगम को हम लर्निंग कहते हैं। ( लर्निंग ) यानि याद करना। इसका मतलब सीखना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।तथा जीवन पर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता है। परिस्थिति तथा आवश्यकता सीखने की गति को बढाती रहती हैं। सीखने के लिए कोई स्थान निश्चित नहीं होता। व्यक्ति कहीं भी किसी भी समय कुछ भी सिख सकता है। मनोविज्ञानिक भाषा में सीखने को ही अधिगम कहा गया है।  अधिगम ( Learning ) की परिभाषाएं  1 वुडवर्थ के  अनुसार -''नवीन ज्ञान एंव प्रतिक्रियाओ का अर्जन ही अधिगम Learning है''।  2 स्किनर के अनुसार - '&

वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका (most questions )

 वंशानुक्रम एवं वातावरण की भूमिका  वंशानुक्रम का अर्थ :  वंशानुक्रम सीधे तौर पर वंश से संबंधित है अर्थात इसमें वंशानुक्रम में शिशु के विकास में माता पिता की भूमिका तो होती ही है साथ ही साथ शिशु के माता-पिता के माता-पिता की भी भूमिका होती है। इसीलिए इसका नाम वंशानुक्रम पड़ा है और मनुष्य के विकास में इसका प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है। सरल शब्दों में वंशानुक्रम का अर्थ :- वंशानुक्रम का साधारण तौर पर अर्थ है कि जैसे माता-पिता होते हैं, उनकी सन्तान भी वैसी ही होती है। वंशानुक्रम के अर्थ में हम यह भी कह सकते हैं कि सभी सजीव अपने वंश  को बनाए रखने के लिए अपने समान बच्चे पैदा करते  हैं। बच्चों  के शारीरिक रूप-गुण अपने माता – पिता के अनुरूप होते हैं, ये वंशानुक्रम का ही एक उदाहरण है। मनोवैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि संतान अपने माता-पिता से शारीरिक गुणों के साथ-साथ मानसिक गुण भी प्राप्त करता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है,   उदाहरण के तौर पे ऐसा जरूरी नही है कि मंद-बुद्धि माता-पिता की संतानें भी मंद-बुद्धि हों। संतान शारीरिक एवं मानसिक गुण अपने माता-पिता के अलावा उनके पूर्वजों से भी प्र

राजस्थान का सामान्य ज्ञान SSC and Reet Important questions

    राजस्थान का सामान्य ज्ञान  राजस्थान के प्रथम नागरिक , प्रथम   महिला  व व्यक्तित्व पर राजस्थान की सभी परीक्षाओं सहित , केन्द्र व अन्य  राज्यों की परीक्षाओं में अनेक प्रश्न पूछे जाते रहे है। इसलिए परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए यहां सम्पूर्ण सूची नीचे दी जा रही है।  इसलिए इन्हें याद करना बहुत जरूरी है। ताकि परीक्षा में आप सफलता पा सके। राजस्थान के प्रथम नागरिक  प्रमुख नगरों  के उपनाम  प्रमुख राजवंश एंव उनके राज्य  मुख्य नगर एंव उनके संस्थापक  प्रमुख राजा एंव उनका काल  राजस्थान के प्रथम नागरिक  राजस्थान राज्य के प्रथम प्रमुख महाराजा   :- महाराणा भूपाल सिंह (उदयपुर ) राजस्थान राज्य के प्रथम प्रमुख राजा : - सवाई मानसिंह (जयपुर ) राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्य मंत्री :-  पंडित  हीरा लाल शास्त्री  (7 अप्रेल 1949 से 5 जनवरी 1951 ) राजस्थान राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्य मंत्री :- टीका राम पालीवाल (३मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952  तक ) राजस्थान राज्य के प्रथम राजयपाल :- श्री गुरु मुख निहाल सिंह ( 1 नवंबर 1956  से 16 अप्रेल 1962 ) राजस्थान राज्य के प्रथम मुख्य न्यायाधीश :- कमल कांत वर्मा  र